My First Night

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Sunday, December 13, 2015

Man Sleep after SEX

SHADI KI PEHLI RAAT...!!!

Al-Quran's photo.
* SUHAG RAAT ke aadab ¤
jab dulha dulhan ke kamre me jaye to sabse pehle salam kare aur tanhai ho to behtar ye hai ki sabse pehle dulha dulhan wuzoo karle aur fir 2 rakat nafil namaz shukrana padhe.
namaz ki niyat : niyat ki maine 2 rakat namaz nafil shukrane ki waste ALLAH ta'ala ke rukh mera kaaba sharif ke taraf Allaho Akbar.
fir humesha jaise namaz padhte ho waise hi namaz padhe aur is tarah duwa kare
aye ALLAH tera shukra aur ehsan hai ki tune hume ye din dikhaya aur hume is khushi wa ne'amat se nawaza aur hume apne HABIB sallallaho alayhi wasallam ki sunnat par amal karne ki taufiq ata farmayi.
aye Allah humari is khushi ko humesha isi tarah kayam rakh. hume mel-milap pyar muhabbat ke sath zindagi gujarne ki taufiq ata farma.
ae Rabbe Qadir hume nek farmabardar aulad ata farma. AAMIN
(Gunyatuttalebin : jild-5,page-115)
Hazrat Abdullah ibne Masud radiallahu ta'ala anhu farmate hai : ek shaks ne bayan kiya ki maine ek jawan ladki se nikah kar liya hai aur muje dar hai ki wo muje pasand nahi karegi.
Hazrat Abdullah bin Masud ne farmaya : mohabbat Allah ki taraf se hoti hai aur nafrat shaitan ki taraf se.
jab tum biwi ke paas jao to sabse pehle use kaho ki woh tumhare piche 2 rakat namaz padhe.
(Gunyatuttalebin : jild-5,page-115)
namaz aur fir uske bad duwa padh lene ke bad dulha dulhan palang par sukun se baith jaye fir uske bad dulha apni dulhan ki peshani ke thode baal apne sidhe hath me narmi ke sath mohabbat bhare andaz me pakade aur ye duwa padhe :
Hazrat Amra bin Aas radiallahu anhu se riwayat hai ke Sarkare Madina sallallaho alayhi wasallam ne irshad farmaya : jab koi shaks nikah kare aur pehli raat (suhag raat) ko apni dulhan ke paas jaye to narmi ke sath uski peshani ke thode se baal apne sidhe hath me le kar yah duwa padhe : Allahumma inni as aluka min khaireh wa khairem jabalth alayhi wa auzoo beka min sharreh wa sharrem jabalth alayhi.
tarjuma : aye Allah me tujse iski (apni biwi ki) bhalai aur khairo barkat mangta hu aur uski fitari aadato ki bhalai aur teri panah chahta hu iski burai aur fitari aadato ki burai se.
(Abu Dawood : jild-2,page-150,
Hasne Hasin : page-164)
** ek badi galatfehmi **
kuch logo ka khayal hai ki jab aurat se pehli bar sohbat ki jaye to uski sharmgah se khoon kharij hona zaruri hai
ye khoon ka aana uske ba-ajmat pakdaman hone ka suboot samJHa jata hai. agar khoon nahi aaya to aurat badchalan aawara samjhi jati hai aur aurat ki sharafat aur ba-ajmat hone me shak kiya jata hai.
aaiye is masle ke bare me hum jante hai. kuwari ladkiyo ki sharmgah me thoda andar ek patali zilli hoti hai jisse parda-e-azmat ya parda-e-bakarat (hymen) kehte hai. iss zilli me chota sa surakh hota hai jiske zariye ladki ke balig hone par haiz (mahwari) ka khoon apne waqt par khariz hota rehta hai.
shadi ke bad jab mard pehli bar us ladki se sohbat karta hai to mard ke uzoo-e-tanasul ke uske takarane ki wajah se wo zilli fat jati hai. iss mauke par aurat ko thodi taklif hoti hai aur thoda sa khoon kharij hota hai fir yah zilli humesha ke liye khatam ho jati hai.
lekin ye zilli patli aur nazuk hoti hai to kahi martaba kisi ladaki ko ye kisi mamuli chot ya kisi hadse ki wajah se ya kabhi khud ba khud fat jati hai. lihaza agar aurat se sohbat ke dauran khoon na nikale to use aawara samajhna munasib na hoga jab tak ki mukammal sharai suboot na ho.
jiska parda-e-ajmat kudne,haiz aane ya zakhm ya umar zyada hone ki wajah se fat jaye wo aurat hakikat me bakirah (kuwari, pak daman) hai.
(Tanwirul Absar ; Fatwa-e-Razviya : jild-12, page-36)
NOTE ::
YE bahut hi pardhe ki baat hai jo hume post karne se pehle bhi kahi martaba sochna padha hai par BAS YE UN MARDO KE LIYE HAI (hamare pyare islami bhai ke liye hai jo bas ek choti si galatfehmi ke wajah se tallaq karte hai )
ye galatfehmi ke wajah se aaj bahut tallaq horahe hai miya biwi pe shak pehli hi rat se shuru kar deta hai khoon na ane ke wajah se.
PYARE ISLAMI BHAIYO Aysa na kariye AAPKI BIWI EK PAAK DAMAN aaurat hosakti hai ap khamakha uspe shak karke apni hi zindagi mei aag laga dete hai aur taallaq tak ka soch lete hai bechari us aaurat ki zindagi tho shuru se pehle hi khatam hojati hai.PLEASE iss galati ko samajiye aap sab ..!
PLEASE PLEASE PLEASE SHARE IT MORE AND MORE
AAP KE WAJAH SE bahut ghar ki aag aur jhagadhe sulaaj jayenge..aapke wajah se har ek mard iss chez pe dhan denga aur wo apni biwi pe shak na karenga ..kahi tallaq rukh sakte hai,,kahi zindagi khush haal hosakti hai ..!
PLEASE SHARE IT...!!
Admin
Yasin parekh..

SHADI KI PEHLI RAAT...!!!

लिंग बाहर खींच कर वीर्य स्खलन... जानिए, कुछ जरूरी बातें:


लिंग बाहर खींच कर वीर्य स्खलन' की गर्भ निरोधन प्रक्रिया के कई नाम हैं। और कई नामों के साथ साथ इसके जुडी उतनी ही गलत धारणाएं भी प्रचलित हैं। इस पौराणिक गर्भनिरोधन प्रणाली से जुड़े कुछ तथ्यों के बारे में आप यहाँ जान सकते हैं:

मिथ्या- लिंग बाहर निकाल कर वीर्य स्खलन गर्भ से बचने का अचूक तरीका है
ये तरीका साधारण है, स्खलन से ठीक पहले लिंग बाहर खींच लिया जाये ताकि योनि के अंदर वीर्य न पहुंचे। ये तरीका कारगर तो हो सकता है लेकिन सौ फीसदी कामयाब नहीं।

इस तरीके का प्रयोग सही तरीके से किया जाये तब भी 100 में से 4 महिलाओं को गर्भ ठहर ही जाता है। और जिन लोगों ने इस काम में दक्षता हासिल नहीं की है, उन लोगों में गर्भ ठहरने का हर साल का प्रतिशत 27 तक पाया गया। यदि पुरुष सही समय पर लिंग बाहर खींच भी ले तो भी गर्भ ठहरने की पूरी सम्भावना को नाकारा नहीं जा सकता क्यूंकि सेक्स के दौरान संभव है की थोड़ी मात्रा में वीर्य का रिसाव हो रहा हो और आप अनभिज्ञ हों। यही छोटी मात्रा का रिसाव गर्भ की वजह बन सकता है।

मिथ्या- लिंग बाहर निकल कर स्खलन करना आसान क्रिया है
यह सुनने में आसान भले ही लगता हो, लेकिन असल में उतना आसान नहीं है, खासकर उनके लिए जो हाल ही में ये तरीका अपनाने लगे हैं। इसके लिए दोनों साथियों में सही तालमेल की ज़रूरत होती है। अनचाहे गर्भ के खतरे से सुरक्षा के लिए ज़रूरी है की आप कोई और विश्वसनीय तरीका अपनाएं।

सही समय पर लिंग खींचना:

मिथ्या- सही समय पर लिंग खींच लेने के लिए पुरुषों पर भरोसा किया जा सकता है वो जोड़े जिनमें आत्म-नियंत्रण, अनुभव और विश्वास हो, इस तरीके का उपयोग सही तरीके से कर सकते हैं। अगर तीनो में से एक भी चीज़ की कमी हो तो बेहतर है की कोई और तरीका अपनाया जाये।

जो पुरुष इस तरीके का प्रयोग करते हैं, उन्हें इस बात का सही अंदाज़ा होना चाहिए की कब उनका स्खलन होने वाला है, क्यूंकि गलती की गुंजाइश बहुत काम है।

इसलिए यह तरीका अनुभवहीन या शीघ्रपतन से जूझ रहे पुरुषों के लिए उपयुक्त नहीं है। क्यूंकि अगर सही समय पर लिंग बाहर न निकला जाये तो गर्भ ठहर सकता है।

मिथ्या- लिंग बाहर निकाल कर स्खलन करना कारगर नहीं है
इस तरीके को अक्सर असरदार तरीका नहीं माना जाता जबकि सच ये है की 60 प्रतिशत जोड़ों ने इसका प्रयोग कभी न कभी ज़रूर किया है।

हालाँकि गटमाकर संस्थान, न्यूयॉर्क द्वारा की गयी रिसर्च से पता चलता है की अगर लिंग को सही समय बाहर निकाल लिया जाये तो अनचाहे गर्भ से 96 फ़ीसदी तक बचा जा सकता है। कंडोम की मदद से इस बचाव की संख्या है 98 फीसदी। ज़्यादा फर्क नहीं, है ना?

सही तरीके से अंजाम दिया जाये तो ये अवश्य एक कारगर तरीका हो सकता है। बात ये है की हर बार इसे सही अंजाम देना शायद आसान नहीं है। लेकिन फिर भी, कोई तरीका इस्तेमाल ना करने से बेहतर ये तरीका ही है।

मिथ्या- इसका प्रयोग सिर्फ गैर ज़िम्मेदार लोग करते हैं
हाल ही के एक अमरीकी अध्यन से पता चलता है की 5 फीसदी लोग गर्भ से बचाव के लिए केवल इसी तरीके का प्रयोग करते हैं, 15-44 साल की 60 फीसदी महिलाओं ने इस तरीके का इस्तेमाल कभी ना कभी किया है।

लिंग बाहर खींच कर वीर्य स्खलन...

कामसूत्र और युवा:


कामसूत्र की प्रासंगिकता तो हर समय बनी रहेगी। युवा पीढ़ी न केवल सेक्‍स पर बात करने को लेकर अधिक मुखर हो रही है, वहीं वह इससे जुड़ी रुढि़वादी सोच को भी छोड़ रही है। युवा सेक्‍स को केवल अपनी शारीरिक जरूरतों को पूरा करने भर का जरिया नहीं मानते हैं, बल्कि वे इसका भरपूर आनंद उठाते हैं। उन्‍हें सेक्‍स को लेकर नए-नए प्रयोग करने से भी गुरेज नहीं है। वे सेक्‍स को लेकर पहले से अधिक स्‍वच्‍छंद सोच रखने लगे हैं। कई सेक्‍स सर्वे लगातार इस बात की ओर इशारा कर रहे हैं कि सेक्‍स को लेकर भारत की सोच बदल रही है। युवाओं के लिए अब शादी से पहले सेक्‍स भी गुनाह नहीं है। ऐसे में कामसूत्र की महत्ता और अधिक बढ़ जाती है। कामसूत्र में सुरक्षित सेक्‍स के बारे में भी तफसील से बताया गया है। सेक्‍स करते हुए क्‍या-क्‍या सावधानियां बरती जाएं जिससे कि आप सुरक्षित आनंद उठा सकें, इस पर चर्चा की गयी है।

युवा और सेक्‍स-संबंध:

सेक्‍स कई युवाओं के लिए एक खेल की तरह हो गया है। जिसका आनंद दोनों मिलकर उठाते हैं। उनके लिए इस खेल में दोनों विजेता होते हैं। न कोई हारता है और न किसी की जीत होती है। अगर कहीं कोई 'हार' भी जाए तो वह अपनी हार पर भी आनंदित ही होता है। इस खेल की व्‍यावहारिक और उपयोगी नियम-पुस्तिका की तरह ही है कामसूत्र।

कामसूत्र के फायदे:

आधुनिक समय में युवाओं के बीच कामसूत्र की महत्ता बढ़ी है। पुराने जमाने में लोग कामसूत्र पर चर्चा करने से कतराते थे, लेकिन अब कामसूत्र को सेक्‍स के प्रति शिक्षित करने वाली पुस्‍तक के रूप में देखा जा रहा है। संभोग आसनों के बारे में अध्‍ययन करने से युवाओं को फायदा होगा और सेक्‍स संबंध बनाते वक्‍त गलतियां नही करेंगे। और सेक्‍स के चरमानंद की वास्‍‍तविक अनुभूति प्राप्‍त कर सकेंगे। कामसूत्र यह ज्ञान देता है कि कैसे एक अच्‍छा सेक्‍स संबंध जीवन पर सकारात्‍मक प्रभाव डालता है। सेक्‍स के दौरान दोनों साथियों की क्‍या भूमिका होनी चाहिए। पुरुष और स्‍त्री को सेक्‍स के दौरान किन बातों पर ध्‍यान रखना चाहिए।

कामसूत्र और युवा:

कामसूत्र है प्रेम का आधार:


कामसूत्र... यह नाम सुनते ही आपके मन-मस्तिष्‍क में सबसे पहला शब्‍द आता होगा सेक्‍स। लेकिन, क्‍या कामसूत्र को केवल सेक्‍स से जोड़कर देखना ठीक होगा। शायद नहीं... कामसूत्र जीवनशैली के बारे में बात करती है, न सिर्फ केवल सेक्‍स के बारे में। इसमें बताया गया है कि जीवनशैली किस तरह सेक्‍स जीवन को प्रभावित करती है।

आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी का असर वैवाहिक संबंधों पर भी पड़ा है। शारीरिक संसर्ग उत्‍साह और आनंद के लिए नहीं, अपितु केवल औपचारिकता के लिए किए जाने लगे हैं। तमाम सेक्‍स सर्वे इस बात की पुष्टि करते हैं कि वैवाहिक जोड़ों में सेक्‍स के प्रति उदासीनता बढ़ती जा रही है। लेकिन, कामसूत्र के वास्‍तविक ज्ञान को अपने वैवाहिक जीवन में अपनाकर उसे हमेशा तरोताजा रखा जा सकता है।

कामसूत्र का अर्थ है सेक्‍स की सही जानकारी। सेक्‍स के बारे में समाज में व्‍याप्‍त मिथ और भ्रामक जानकारियों को दूर करने में भी कामसूत्र मदद करता है। कामसूत्र का मतलब केवल सेक्‍स संबंध ही जीवन नही है बल्कि पारिवारिक जीवन का सही तरीके से निर्वहन भी कामसूत्र है।

कामसूत्र में स्त्री और पुरुष की शारीरिक संरचना और मनोविज्ञान पर भी विस्‍तार से चर्चा की गई है। इसमें बताया गया है कि प्रेम और संभोग किस तरह एक दूसरे पर आश्रित हैं। कामसूत्र सिखाता है कि प्रेम का आधार है संभोग और संभोग का आधार है प्रेम।

प्रेम केवल मन या दिल में नहीं पनपता। यह शरीर में भी होता है। कामसूत्र में उन्‍होंने बताया है कि यदि स्त्री-पुरुष एक दूसरे के शरीर से प्रेम नहीं करते तो मन, हृदय या आत्मा से प्रेम करना महत्‍वहीन है। प्रेम का आरंभ तो शरीर से ही होता है। पहले शरीर ही शरीर को देखता है। यदि पुरूष में पौरुषत्व है और स्‍त्री उसकी तरफ आकर्षित है तो एक दूसरे के मोहपाश से बचना असंभव है।

सेक्‍स संबंध ही दाम्पत्य जीवन में सुख-शांति का आधार हैं। काम (सेक्‍स) के सम्मोहन के कारण ही स्त्री-पुरुष विवाह सूत्र में बंधने को तैयार होते हैं। कामसूत्र में काम (सेक्‍स संबंध बनाने के तरीके) के विभिन्‍न प्रकार के आसनों के बारे में भी बताया गया है। कामसूत्र का उद्देश्‍य उत्तेजित करना नहीं वरन् सेक्‍स और उससे जुड़े मुद्दों पर सही ज्ञान देना है। इसमें संभोग के हर पहलू को विस्‍तार से वर्णित किया गया है।

कामसूत्र है प्रेम का आधार:

आज की इस तेज रफ्तार भरी जिंदगी में अगर पति-पत्नी दोनों कामकाजी हों तो एक-दूसरे के साथ बैठने और बातचीत के लिए भी समय निकालना मुश्किल हो जाता है। इसका सीधा असर पड़ता है उनकी सेक्स लाइफ पर।


नियमित सेक्स
यह सच है कि तनाव और थकान का पति-पत्नी के यौन जीवन पर बुरा असर पड़ता है, मगर वहीं यह भी सच है कि सेक्स ही आपके जीवन में पैदा होने वाले दबावों और परेशानियों से जूझने का टॉनिक भी बनता है। इसलिए कोशिश करें कि सप्ताह में तीन बार तक सेक्स संबंध जरूर बनाये, इससे आपकी सेक्स लाइफ मधुर होगी।

• रिश्तों में निकटता लाये
सिर्फ स्वास्थ्य ही नहीं सेक्स का असर आपसी रिश्तों पर भी पड़ता है। रिश्तों में निकटता लाकर पति-पत्नी सेक्स लाइफ को मधुर बना सकते है, उनके पास आपस में एक-दूसरे से कहने लिए बहुत कुछ होता है इसलिए ज्यादा से ज्यादा बातें करें,

• सेक्स ऐसा जिसे दोनों एंज्वाय करें
मनोचिकित्सकों का मानना है कि जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाने के लिए ऐसा सेक्स जरूरी है जिसे पति-पत्नी दोनों एंज्वाय करें। इसके लिए जरूरी है कि इसे एक मशीनी क्रिया में बदलने की बजाय दिलचस्प बनाने पर जोर दिया जाए। इसमें फोरप्ले और कल्पनाशीलता की अहम भूमिका होती है। दरअसल यही आपको तनाव से मुक्त करता है और एक-दूसरे के करीब लाता है। सेक्स के दौरान सिर्फ एक-दूसरे के अंगों को सहलाकर और चूमकर शिथिलता दूर की जा सकती है। आपस में मधुर बातें, ओरल सेक्स या हस्तमैथुन के जरिए रुटीन की सेक्स लाइफ को ज्यादा स्पाइसी बनाया जा सकता है।

• अपने साथी को समय दें
शादी के कुछ सालों बाद कुछ जोड़े पाते हैं कि सहवास और दृढ़ता अपनी वास्तविक चमक खोती जा रही है साथ ही दिन-ब-दिन सहवास करना सिर्फ एक रुटीन उद्देश्य रह जाता है. इसलिए अपने साथी को पूरा-पूरा टाइम दें, इसका सबसे बेहतर तरीका है कि पॉजिटिव प्रयासों से अपने पार्टनर को बहकाएं,

अच्छी तरह बढ़ कर तैयारी करें
यदि आप बाहर खाना या फिल्म देखने का मन बनाते हैं तो यह एक बेहतर अवसर है जहां आप एंज्वाय करेंगे. बहलाने का कोई भी मौका मिलता है तो उसे न छोड़ें। यही स्थिति ऐसी होगी जब आपका पार्टनर सहजता से सोचेगा कि आप उसे कितना चाहते हैं। कभी-कभी उसे उपहार भी दें। जैसे उसकी बगैर जानकारी के उसके लिये उसका पसंदीदा परफ्यूम लाकर दें या फिर कोई सहवासी सा अण्डरवियर उसे गिफ्ट करें। ऐसे में जब भी वह इनका प्रयोग करेगी आपको याद करे रोमांचित होगी।

• आपस में छेड़छाड़ करें
आपसी छेड़छाड़ दो प्रेमियों के बीच का महत्वपूर्ण फोरप्ले होती है। इस दौरान धीमी लाइट जलाकर कोई पसंदीदा संगीत चालू कर लें। छेड़छाड़ के बीच-बीच में एक दूसरे को किस करने का मौका न गंवाएं साथ ही एक दूसरे से चिपक कर लेटे,इस दौरान पूरी सौम्यता बरते न कि सीधे सेक्सक के लिए उन्मुख हो जाएं। इससे सेक्सक लाइफ में मधुरता आएगी।

Pahli Raat Ke Nuske.......


सेक्स और उम्र:


सेक्सुअल घनिष्ठता को उम्र बढ़ने के साथ प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता क्योंकि आत्मीयता की चाहत का उम्र से कोई सम्बन्ध नहीं है। आज के दौर में जबकि ज्ञान की शक्ति और चिकित्सा विज्ञान की अभूतपूर्व प्रगति के कारण लोग अधिक लम्बाध, स्वस्थ और सक्रिय जीवन बिताते हैं ऐसे में सेक्सुअली सक्रिय रहना शारीरिक और मानसिक तंदुरूस्ती के लिए बेहतर साबित होता है।

सेक्सुअल पैटर्न और पुरूष की उम्र:

व्यक्ति के सेक्सुअल पैटर्न में पूरी जिंदगी बदलाव होते हैं। जहां एक किशोर की प्रजनन क्षमता तेरह वर्ष की उम्र से शुरू हो सकती है वहीं उसकी सेक्सुअल क्षमताओं का चरम अठारह वर्ष की उम्र में हो सकता है। तीस से चालीस की उम्र के बाद पुरूष की सेक्सुअल प्रतिक्रियाओं में कुछ कमी आना शुरू हो जाती है और पचास की उम्र तक पहुंचते-पहुंचते लिंग में कठोरता और स्खलन की आवृत्तियों में स्पष्ट कमी आ जाती है। लेकिन ये केवल शारीरिक बदलाव हैं जो सेक्स के आनंद को कोई विशेष प्रभावित नहीं करते। कोई पुरूष यदि स्वास्थ्‍य सम्बन्धी किसी समस्या का सामना न कर रहा हो तो वह पूरे जीवन भर सेक्स लाईफ का आनंद ले सकता है।

सेक्सुअल पैटर्न और महिलाओं की उम्र:


लड़कियों में बारह से तेरह वर्ष की उम्र तक यौवन का विकास शुरू हो जाता है लेकिन पूरे जीवन भर उनके शरीर में हॉर्मोन सम्बन्धी बदलाव होते रहते हैं। उम्र बढ़ने के साथ हॉर्मोन स्तरों में उतार-चढ़ाव होने से संभोग में भाग लेना कठिन हो जाता है क्योंकि योनि की त्वेचा पतली हो जाती है और चिकनाई भी घट जाती है। मेनोपॉज की स्थिति चालीस से पचास की उम्र के बीच में आती है और अनेक असुविधाजनक समस्याएं उत्पन्न करती है। इसे प्रजनन क्षमता का समापन माना जाता है।

Sex and age