सेक्स और उम्र:
सेक्सुअल घनिष्ठता को उम्र बढ़ने के साथ प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता क्योंकि आत्मीयता की चाहत का उम्र से कोई सम्बन्ध नहीं है। आज के दौर में जबकि ज्ञान की शक्ति और चिकित्सा विज्ञान की अभूतपूर्व प्रगति के कारण लोग अधिक लम्बाध, स्वस्थ और सक्रिय जीवन बिताते हैं ऐसे में सेक्सुअली सक्रिय रहना शारीरिक और मानसिक तंदुरूस्ती के लिए बेहतर साबित होता है।
सेक्सुअल पैटर्न और पुरूष की उम्र:
व्यक्ति के सेक्सुअल पैटर्न में पूरी जिंदगी बदलाव होते हैं। जहां एक किशोर की प्रजनन क्षमता तेरह वर्ष की उम्र से शुरू हो सकती है वहीं उसकी सेक्सुअल क्षमताओं का चरम अठारह वर्ष की उम्र में हो सकता है। तीस से चालीस की उम्र के बाद पुरूष की सेक्सुअल प्रतिक्रियाओं में कुछ कमी आना शुरू हो जाती है और पचास की उम्र तक पहुंचते-पहुंचते लिंग में कठोरता और स्खलन की आवृत्तियों में स्पष्ट कमी आ जाती है। लेकिन ये केवल शारीरिक बदलाव हैं जो सेक्स के आनंद को कोई विशेष प्रभावित नहीं करते। कोई पुरूष यदि स्वास्थ्य सम्बन्धी किसी समस्या का सामना न कर रहा हो तो वह पूरे जीवन भर सेक्स लाईफ का आनंद ले सकता है।
सेक्सुअल पैटर्न और महिलाओं की उम्र:
लड़कियों में बारह से तेरह वर्ष की उम्र तक यौवन का विकास शुरू हो जाता है लेकिन पूरे जीवन भर उनके शरीर में हॉर्मोन सम्बन्धी बदलाव होते रहते हैं। उम्र बढ़ने के साथ हॉर्मोन स्तरों में उतार-चढ़ाव होने से संभोग में भाग लेना कठिन हो जाता है क्योंकि योनि की त्वेचा पतली हो जाती है और चिकनाई भी घट जाती है। मेनोपॉज की स्थिति चालीस से पचास की उम्र के बीच में आती है और अनेक असुविधाजनक समस्याएं उत्पन्न करती है। इसे प्रजनन क्षमता का समापन माना जाता है।
सेक्सुअल घनिष्ठता को उम्र बढ़ने के साथ प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता क्योंकि आत्मीयता की चाहत का उम्र से कोई सम्बन्ध नहीं है। आज के दौर में जबकि ज्ञान की शक्ति और चिकित्सा विज्ञान की अभूतपूर्व प्रगति के कारण लोग अधिक लम्बाध, स्वस्थ और सक्रिय जीवन बिताते हैं ऐसे में सेक्सुअली सक्रिय रहना शारीरिक और मानसिक तंदुरूस्ती के लिए बेहतर साबित होता है।
सेक्सुअल पैटर्न और पुरूष की उम्र:
व्यक्ति के सेक्सुअल पैटर्न में पूरी जिंदगी बदलाव होते हैं। जहां एक किशोर की प्रजनन क्षमता तेरह वर्ष की उम्र से शुरू हो सकती है वहीं उसकी सेक्सुअल क्षमताओं का चरम अठारह वर्ष की उम्र में हो सकता है। तीस से चालीस की उम्र के बाद पुरूष की सेक्सुअल प्रतिक्रियाओं में कुछ कमी आना शुरू हो जाती है और पचास की उम्र तक पहुंचते-पहुंचते लिंग में कठोरता और स्खलन की आवृत्तियों में स्पष्ट कमी आ जाती है। लेकिन ये केवल शारीरिक बदलाव हैं जो सेक्स के आनंद को कोई विशेष प्रभावित नहीं करते। कोई पुरूष यदि स्वास्थ्य सम्बन्धी किसी समस्या का सामना न कर रहा हो तो वह पूरे जीवन भर सेक्स लाईफ का आनंद ले सकता है।
सेक्सुअल पैटर्न और महिलाओं की उम्र:
लड़कियों में बारह से तेरह वर्ष की उम्र तक यौवन का विकास शुरू हो जाता है लेकिन पूरे जीवन भर उनके शरीर में हॉर्मोन सम्बन्धी बदलाव होते रहते हैं। उम्र बढ़ने के साथ हॉर्मोन स्तरों में उतार-चढ़ाव होने से संभोग में भाग लेना कठिन हो जाता है क्योंकि योनि की त्वेचा पतली हो जाती है और चिकनाई भी घट जाती है। मेनोपॉज की स्थिति चालीस से पचास की उम्र के बीच में आती है और अनेक असुविधाजनक समस्याएं उत्पन्न करती है। इसे प्रजनन क्षमता का समापन माना जाता है।
0 comments:
Post a Comment